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आवारा बादल

वरदान 

ज्यों ज्यों मेन्स की तारीख नजदीक आती गई त्यों त्यों रवि की नींद कम होती चली गई । पहले आठ घंटे की नींद ले लेता था रवि लेकिन बाद में उसने छ: घंटे सोना शुरू कर दिया था । मेन्स के दस दिन पहले से वह केवल चार घंटे ही सो रहा था । मृदुला भी रवि की मेहनत और समर्पण देखकर विस्मित थी । वह उसके साथ साथ ही सोती और जगती थी । बीच बीच में चाय, बिस्किट्स, स्नैक्स वगैरह का सारा इंतजाम करती थी वह तथा कभी कभी उसकी कुछ मदद नोट्स बनाने में भी कर दिया करती थी । 
मेन्स बहुत शानदार हुए थे रवि के । परीक्षा देने के बाद उसके चेहरे पर विश्वास के भाव थे । उस दिन रवि और मृदुला गोविंदा और करिश्मा कपूर की सुपर डुपर हिट मूवी "साजन चले ससुराल" देखने सिनेमा हॉल पहुंचे । इस मूवी में तब्बू, कादर खान, शक्ति कपूर और सतीश कौशिक का भी दमदार अभिनय था । सबसे बड़ी बात थी कि फिल्म बहुत हलकी फुलकी थी । दिमाग लगाने की कोई जरुरत होती भी नहीं है गोविंदा की मूवी में । गोविंदा, कादर खान , सतीश कौशिक और शक्ति कपूर की कॉमेडी ने धूम मचा रखी थी उन दिनों । डेविड धवन के निर्देशन में बनी सारी मूवीज ने एक से बढकर एक कीर्तिमान स्थापित किये थे । 

मूवी देखने के बाद एक बढिया से होटल में खाना खाने के बाद मृदुला रवि को  एक पार्क में ले गई थी । मृदुला पर रवि के इश्क का नशा चढ गया था । वह तो रवि की दीवानी हो गई थी । ऐसा नहीं है कि रवि एकदम अनजान था । वह भी सब कुछ समझ रहा था मगर अब वह गलतियां नहीं करना चाहता था । रवि ने इश्क विश्व का कोई इजहार नहीं किया कभी । कोई तो पहल करेगा ना ? तो मृदुला को ही पहल करनी पड़ी । उस पार्क में पहली दफा मृदुला ने रवि को कहा था "I Love you, Ravi" . 

रवि खामोश ही रहा कुछ नहीं बोला । 
"कुछ बोलो न रवि । मैं कब से सुनने के लिए तरस रही हूं । कितना इंतजार किया है मैंने । अब और इंतजार नहीं कर सकती हूं । प्लीज, बोलिए न" । मृदुला ने रवि का हाथ अपने हाथों में लेकर बड़े प्रेम से कहा । 

"मैं क्या बोलूं मृदुला जी । मैं आपके लायक नहीं हूँ । आप तो एक देवी हैं और मैं एक राक्षस हूँ । आप लोगों ने मुझ पर जो अहसान किया है उसे मैं इस जीवन में तो नहीं उतार सकता हूं" । रवि की नजरें झुकी हुई थीं । 
"ओह रवि । पुरानी बातों को याद करने से क्या होगा ? पश्चाताप की आग में पहले ही बहुत जल चुके हो तुम । अब तो तुम कुन्दन नहीं पारस बन गए हो । मुझे भी छूकर कुन्दन बना दो ना" । मृदुला रवि के गले लग गई । 

रवि का दिल कब तक पत्थर बना रहता , पसीज गया । उसने मृदुला को गले से लगाते हुए बोला "मृदुला । मैं भी तुमसे बेहद प्यार करता हूं । प्यार तो बहुत पहले से करता था मगर कहने का साहस आज जुटा पाया हूँ । मुझे माफ कर देना, मेरी वजह से तुम्हें बहुत सारे कष्ट उठाने पड़े हैं । प्लीज मृदुला" । रवि की आंखों में आंसू थे । रवि ने मृदुला को अपने गले से लगा लिया । मृदुला को ऐसे लगा जैसे उसे सारा संसार मिल गया था । दोनों जने आलिंगनबद्ध हो गए थे । 

उस दिन के बाद से दोनों की दुनिया ही बदल गई थी । अब रवि साक्षात्कार की तैयारी करने लगा । एक कोचिंग संस्था से इस संबंध में बात भी कर ली गई थी । मेन्स का परिणाम आ गया  । रवि मेन्स में पास हो गया था । एक और बाधा पार हो गई थी । अब तो सिर्फ साक्षात्कार ही बचा हुआ था । 

दिन हवा की तरह उड़ रहे थे । रवि का आत्मविश्वास भी बढता जा रहा था । आखिर वो दिन भी आ गया जिस दिन रवि का साक्षात्कार दिल्ली में होना था । पूरा अग्रवाल परिवार साथ आया था रवि के । सब लोग एक होटल में ठहरे । रवि को अग्रवाल दंपत्ति ने ढेर सारा आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं । मृदुला ने "किस" करके अपना प्यार लुटा दिया । रवि साक्षात्कार के लिए चला गया । 

साक्षात्कार देकर जब रवि लौटा तो उसका चेहरा प्रसन्नता से खिला हुआ था । चेहरे को देखकर ही अंदाज लगाया जा सकता था कि उसका साक्षात्कार कैसा गया है । सब लोग बहुत खुश थे । सब लोग वापस अपने घर आ गये । 

अब रवि के पास में कोई काम नहीं था । वह बिल्कुल फ्री था । इस अवधि में उसका और मृदुला का रोमांस सिर चढकर बोल रहा था । दोनों जने लंच लेकर घूमने जाते और देर रात तक लौटकर आते थे । रवि अब पहले वाला रवि नहीं था जिसे देह से प्यार था । वह रवि तो कब का मर गया था । यह रवि दूसरा था । इसका जन्म ट्रेन में हुआ था । दोनों को खुश देखकर अग्रवाल दंपत्ति फूले नहीं समाते थे । 

आखिर में साक्षात्कार का परिणाम आया । रवि ने टॉप किया था । मृदुला तो खुशी के मारे रवि से लिपट गई थी । रेणू जी और अग्रवाल साहब की आंखें भी खुशी से भर आईं थीं । पूरे घर को दीवाली की तरह से सजाया गया था । मृदुला ने टेपरिकॉर्डर पर गीत लगा दिया था 

आज से पहले, आज से ज्यादा 
खुशी आज तक नहीं मिली 
इतनी सुहानी, ऐसी मीठी 
घड़ी आज तक नहीं मिली 
आज से पहले, आज से ज्यादा । 

अग्रवाल साहब ने एक विशाल पार्टी का आयोजन किया और उसमें रवि तथा मृदुला की सगाई की घोषणा भी कर दी । रिंग सेरेमनी कर दी गई थी उस दिन । प्रशिक्षण के लिए मसूरी जाने से पूर्व दोनों की शादी हो गई थी । 

बेला को दिल्ली घुमाने के बाद रवि उसे अपने घर ले आया । मृदुला से मिलाते हुए कहा "ये हैं बेला जी । मेरी बचपन की साथी" । अपनी पत्नी का परिचय कराते हुए वह बोला "और ये हैं मृदुला जी । हमारी सब कुछ" । 

बेला, रवि और मृदुला की ये पहली और आखिरी मुलाकात थी । बेला को विश्वास ही नहीं था कि वह कभी अपने "श्याम" से भी मिल पायेगी या नहीं ? मगर श्याम तो सबकी इच्छा की पूर्ति करते हैं । बेला ने अपने घर वापस जाने की अनुमति ली और वह अपने घर वापस आ गई । 

एक आवारा बादल को अब एक जलधारा का साथ मिल गया था । अब वह आवारा कहां रहा । अब तो दोनों साथ मिलकर धरती को सरस बनाने में लग गये थे । धरती उनके प्यार के वरदान से महक उठी थी । 



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12 Comments

Chetna swrnkar

30-Jul-2022 10:44 PM

Bahut achhi rachana

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देविका रॉय

28-Jan-2022 11:50 PM

Finally happy ending, ek sarthak badlav ko dikhati khubsurat kahani, bahut bahut dhanyabad achche lekhn ke liye, padh kar Anand aa gaya sir.

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fiza Tanvi

25-Jan-2022 07:49 PM

Good

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Hari Shanker Goyal "Hari"

26-Jan-2022 12:29 PM

धन्यवाद जी

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